Friday, September 30, 2011

भारतीय लोकतंत्र की दशा और दिशा ?

भारत की संसद में २२ जुलाई २००८ को जो कुछ भी हुआ था  सारी दुनिया ने उसे देखा था ! उसके बाद बंगलुरु , अहमदाबाद , सूरत, गुवाहाटी जैसे शहरों में हुए धमाके जिनकी गूंज दुनिया भर में सुने दी! जम्मू  में हुआ संघर्ष भी किसी से छुपा नहीं है! २जी स्पेक्ट्रम से मचा बवाल और अली हसन कांड सबके सामने है! ये सभी घटनाएँ और दुर्घटनाएं हाल के दिनों की है! दरअसल ये सभी घटनाक्रम कुछ न कुछ संकेत करते है! ये हमारे लोकतंत्र के वर्तमान की दशा और दिशा बता रहे है! उस लोकतंत्र की दशा और दिशा जिसने ६२ वर्षों से भी ज्यादा का सफ़र तय  कर लिया है! देश की अखंडता, एकता और सुरक्षा का ताना बना तर तर होने की कगार पर है! और दुर्भाग्य ये है की किसी को भी समझ नहीं आ रहा की कैसे इसे टूटने से बचाया जाये और कैसे इसे और अधिक मजबूत  बनाया जाये!
    दुनिया के सबसे ज्यादा भ्रष्ट देशों  की सूची में भारत ने अपना ऊँचा स्थान कायम रखा  है! देश के कोने कोने में आतंकवाद और नक्सलवाद की आग धधक रही है! आंतरिक सुरक्षा का खतरा बढ़ता जा रहा है! 
   अर्थव्यवस्था, राजनीती और समाज में हताशा बढ़ रही है, जो मूलभूत क्षमताएं हम भारतीयों की थी वो लुप्त होती जा रही है, संतुलन और सद्भाव समाप्त होता जा रहा है! दरअसल भारत अन्दर से कमजोर होता जा रहा है लेकिन बहरी त्वचा को जबरन निखारा जा रहा है!
भारतीय समाज से समरसता, उदारता , सहानुभूति ,प्रेमभाव ,प्रतिबधिता और राष्ट्रधर्म का पलायन हो रहा है और सामाजिक जीवन में भ्रष्टाचार और दूसरी तमाम बुराइयाँ जोर पकडती जा रही है!
       आज़ादी के बाद देश के नेतृत्व ने भारतीय जनमानस को चुनौतियों से कठिनाइयों और समस्यायों से आँखे मूँद लेना सिखा दिया है! भारतीय जनमानस का मष्तिष्क दिन प्रतिदिन खोखला होता जा रहा है लेकिन इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है, यथा राजा तथा प्रजा! 
        पानी अब सर से ऊपर होने ही वाला है इससे पहले की सब डूब जाएँ हमे इस भ्रमजाल से निकलना ही होगा! युवाओं को आगे आकर देश्रुपी रथ की बागडोर थामनी ही होगी! भारत को अब नए सिरे से अपनी किस्मत लिखनी होगी जो kavi की कल्पना पर नहीं बल्कि जमीनी हकीकत पर आधारित होगी............................! 
                                                               जय हिंद! जय भारत ! 

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