Monday, December 28, 2009

अनबुझे सवाल ?

हर शहर में हर शख्स परेशां है| स्कूटर चल रहे है| कारे चल रही है|आफिसों में काम हो रहा है घरों में भी जीवन सामान्य हो रहा है| लेकिन कहीं कुछ है जो नोर्मल नहीं है, सहजता महसूस नहीं हो रही है, चार लोग बैठते है तो देश की सुरक्षा के सवाल अपने आप उठ खड़े होते है, युवाओं का मन व्यथित है,सीने में इतना उबाल है की कभी कभी आँखों से छलकने लगता है| कहीं कैंडल मार्च तो कही गिटार या वायलिन पर देश प्रेम की धुनों से दिल को शांत करते है युवा| वो क्लास में जाते है तो किताबों में सवाल नजर आते है, वे जॉब पर जाते है तो तो भी सवाल पीछा करते है, पूरा देश एक आन्दोलन में बदल चुका है| राजनेता अभी भी अपने खेल में मस्त है, लेकिन खास बात यह है की पब्लिक का अब उनके इस घिनौने खेल में कोई इंटरेस्ट नहीं है, उनका चेहरा बेनकाब हो गया है|
सवालों में एक सवाल यह भी उठता है की क्या करे कैसे बचाए अपना देश? आखिर यह देश की सुरक्षा और सम्मान का सवाल है| क्या सचमुच हम कापबले नहीं है अपने देश को सिक्योर करने में? क्या सचमुच हम आतंकवाद का मुहतोड़ जवाब नहीं दे सकते? क्या अब भी समय नहीं आया है? क्यों नहीं इस समय सारी पोलिटिकल पार्टीज पर्सनल प्रयोर्टीज को भुलाकर एकजुट होकर देश के बारे में नहीं सोचती? जिस पूरा देश उबल रहा है| क्यों इस देश के कर्णधार नहीं उबल रहे है| क्या इनके दिल में आज भी पहले अपनी पार्टी का प्रेम उफनता है? क्या अब भी उन्हें चिंता आने वाले इलेक्शन की है? क्या अब भी वक़्त नहीं आया की उन्हें एक साथ नहीं हो जाना चहिये? तो फिर कब आएगा वो वक़्त तब जब फिर से पराधीन हो जायेंगे, नहीं ना तो जागो बेशर्मों क्योंकि जनता अब खामोश रहने वाली नहीं है| उसके भीतर की आग को पानी समझने वालों को अब चेतना होगा| उसे अब एक स्ट्रांग लीडरशिप चाहिए| हर कोई एक दुसरे को उम्मीद की नजर से देख रहा है , हर किसी के पास सवाल है की क्या तुम्हारे पास कोई सालुशन है? यह वक़्त शांत बैठने का नहीं है| नयी शुरुआत करने का है| न इलेक्शन का बायकाट इसका रास्ता है| लड़ाई दंगा भी नहीं है | चीजो को इग्नोर करना भी नहीं | यह वक़्त है सच्चाई से आँख मिलाने का | यह वक़्त है कमान को अपने हाथों में लेने का | अब इसकी टोपी उसके सर करने कुछ भी नहीं होगा सच्चाई से मुह मोड़ने से काम नहीं चलेगा | कुछ न कुछ तो जरूर करना होगा ....................COME ON YUVA....

Friday, December 25, 2009

एक अनकहा ख़त


हेलो रुचिका
मै नहीं जानता तुम मेरे बारे में कभी सोचती भी हो या नहीं पर मेरे दिल में एक तुम्हारा ही नाम गूंजता रहता है| मुझे पता है तुम यही सोच रही होगी की ये सब बनी बने बाते है पर सच पूछो तो पहले मै भी यही सबके बारे में सोचता था पर जब खुद के दिल के तार बज उठे तब महसूस हुआ की ये छोटा सा मासूम दिल क्यों कभी कभी कुछ तेज धड़कने लगता है| यार रूचि मै नहीं जानता की मै तुम्हे कभी प्रपोज कर पाऊंगा या नहीं या मेरी ये अनकही एकतरफा LOVESTORY मेरी DAIRY के इन पन्नों में ही दफ़न हो जाएगी पर जिंदगी से इतना जरूर चाहूँगा की एक बार तुमसे जी भर के बातें करूं|
तुम्हे न पाने का दर्द मेरे सूने दिल में साफ़ नजर आता है| तुमसे बहुत दूर हूँ और तुम्हारी यादें दिल में टीस पैदा करती है लेकिन फिर ख्याल आता है की इन यादों में ही तो प्रेम की धारा भी बहती है|

Saturday, December 12, 2009

किस्सा प्यार का






हेलो दोस्तों

कहते है हर इंसान जिंदगी में एक बार प्यार जरूर करता है और उसकी अपनी एक अलग और खूबसूरत प्रेमकहानी होती है यहाँ मै भी अपनी उस अनकही कहानी को आप लोगों के साथ शेयर करना चाहता हूँ जो हमेशा मुझे बेचैन करती रहती है वैसे मेरी ये सारीप्रेम कहानियाँ मेरे स्कूल टाइम की है जब लोग कहते है की ये प्यार नही सिर्फ़ फिजिकल attraction है वैसे आपको जानकर ताज्जुब होगा की मेरा पहला क्रैश 5th क्लास में मेरी क्लास मेट साधना गुप्ता से हुआ जिस मै आज भी नही भूल पाया हूँ पर हमारी ये प्रेम कहानी किसी मुकाम तक पहुँच पाती उससे पहले ही मेरे एक टीचर ने हमारे सपनों के महल को ढहा दिया और हमारी कहानी का द एंड हो गया वैसे साधना आई रियली मिस एंड यू
love IS LIKE THE SUN IT SHINNES BRIGHT AND WARMS YOUR HEART




इसके बाद मेरा अगला क्रश मेरी एक सीनियर दीप्ति से हुआ जिसे आज तक इसके बारे में दीप्ति को पता ही नही है so gogeous looking यार पर वो भी किसी और के लिए ही बनी थी वो आज भी मेरी अच्छी दोस्त है और अक्सर हम चैट करते है कोई बात नही चलो दोस्त ही सही पर मेरे करीब तो है और मै इसी से खुश हूँ
love IS GOLDEN GIFT OF ALMIGHTY GOD


फ़िर मुझे रुचिका मिली जिससे इस दिल के तार कुछ ऐसे जुड़ गए है की अब और कोई धुन इससे प्यारी नही लगती है और ये बन गई मेरे दिल की धड़कन पहली बार से ही ऐसे मेरी आंखों में बस गई है की अब और कोई नजर ही नही आता है 11TH में पहली बार जब स्कूल गया तभी इसे सीढ़ियों से देखा था सबसे आगे वाली सीट पर बैठी शायद कुछ लिख रही थी मुझे लगता है मै भी शायद उसी के लिए स्कूल जाता था जिस दिन वो नही आती थी स्कूल में मेरा मन नही लगता था या कभी कभी जब मै पहले आ जाता था तो छत पर बैठ कर उसका इन्तजार करता था और उसके अचानक आ जाने पर दिल इतना खुश होता था की मै आपको बता नही सकता हूँ उसके बगल से गुजरकर उसके चहरे को छूकर आने वाली हवा को सीने में भर लेने का अहसास ही इतना खूबसूरत था की उन्हें बताने के लिए मेरे पास लफ्ज ही नही है उसका वो क्लास में चहकना उसको नल में पानी पीते हुए देखना और उसी नल को चूमना कितना खूबसूरत होता है ये प्यार की मै आपको बता नही सकता वो अगर थोड़ी देर के लिय भी इधर उधर चली जाए तो ये नजरे बेचैन हो उठती थी और फ़िर पागलों की तरह उसे ढूँढना सब कुछ याद है कितना खूबसूरत होता है स्कूल लाइफ का ये प्यार क्या आपने किया है कभी ये प्यार? क्या कहा? हाँ ना मै जनता था ये जो सीने के अन्दर जो छोटा सा दिल है ना, ये उसी के लिए धडकता है सिर्फ उसी के लिए...............................................!
IF IN THE DARK WE LOSE SIGHT OF love HOLD MY HAND AND HAVE NO FEAR WE"LL BE TOGETHER FOREVER