Wednesday, August 17, 2011

आजादी का ये जश्न मनाते मनाते ६४ साल हो गए पर यह पीढ़ी किसी भी मायने में पिछली पीढ़ी से कम देशभक्त नहीं है हाँ अभिव्यक्ति का अंदाज जरूर बदल गया है! पहले स्वतंत्रता दिवस पर कर चले हम फ़िदा ...... जैसे गाने सुनाई पड़ते थे! कहते है की लता मंगेशकर जी  के गाने ऐ मेरे वतन के लोगों ..... को सुनकर नेहरु जी की आँखों में आंसू आ गए थे! लेकिन आज हकीकत जरा बदल गयी है! युवाओं को आज सुनो गौर से दुनिया वालों .....सबसे आगे होंगे हिन्दुस्तानी ..., हम चलते है जब ऐसे तो दिल दुश्मन के हिलते है..... जैसे गाने ज्यादा पसंद है! युवा को भारतीय होने का अहसास हर पल रहता है! उन्हें भारतीय संविधान की प्रिअम्ब्ल भले  ही याद न हो लेकिन ये पता है की जब देश में किसी प्रकार का संकट हो और पैनिक बटन दबा  हो तो एकजुट होकर ही देश की एकता और सदभाव को जोड़े रखे रहा जा सकता है! उनके अंदाज में एग्रेसन है, लेकिन यह अपने वजूद को बचाने के लिए है किसी को मिटाने के लिए नहीं! यही आज के युवा के एग्रेसन की सकारात्मकता है!
                                     जय हिंद , जय जवान 
आजादी की ६४वीं वर्षगांठ की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ .........................................!

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